रविवार, 12 जून 2022

राहु - यंत्रम्

राहु  - यंत्रम्  


राहू यन्त्र लोहा , त्रिलोह या अभ्रक धातु में बनाया जा सकता है। इसे किसी भी पुष्य नक्षत्र के दिन सुरपाकार आकृति में बनाना चाहिए।  इसके यन्त्र सभी कोष्ठकों की संख्याओं का योग 36 होता है। इस यन्त्र के नीचे सवा पांच रत्ती का लहसुनिया लगाना चाहिए। 

इस यन्त्र को सिद्ध करने के लिए राहू के मन्त्रों के 18 हजार जप करने चाहिए। जप के दशांश का हवन , मार्जन , तर्पण एवं ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। इस यन्त्र को सिद्ध करने के लिए तान्त्रिक व वैदिक मन्त्र इस प्रकार है। 

ॐ कयानश्चित्र आभुवदूती सदावृधः सखा। 

कयाशचिष्ठयावृता।। 

तान्त्रिक मन्त्र 

यह यन्त्र राहू जनित सभी दोषों को शान्त करता है। जिनकी जन्म कुण्डली में राहू की महादशा या अन्तरदशा चल रही हो , उन्हें यह यन्त्र विशेष रूप से धारण करना चाहिए। 

तन्त्र प्रयोग 

मलयजम् (चन्दन) वृक्ष की जड़ 'ऐं हीं वं' बीज मंत्र बोलकर बुधवार को सायं 7 व 9 के मध्य लाई जाए , जिसका वजन 13 रत्ती हो। माला मणियों की तरह छिद्र करके नीले डोरे में डालकर 'वं डं लं ' बीज मंत्र से 31 बार अभिमंत्रित करके कंठ में धारण करने से राहूकृत अरिष्ट दूर होता है। यदि तंत्रोक्त मंत्र राहू का दो हजार जप करके इसको बाई भुजा पर बांधा जाए तो राजयोग , परीक्षा में सफलता एवं विवाह में सहायता मिलती है।   


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