बुध - यंत्रम्
बुध यन्त्र का निर्माण स्वर्ण , कांसे या त्रिलोह में करना चाहिए। रविपुष्य या बुद्धपुष्य इसके निर्माण के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त हैं। बुध यन्त्र बाण की आकृति में होता है तथा इसके यन्त्र का योग 24 होता है। इस यन्त्र के नीचे सवा पांच रत्ती या कैरट का पन्ना लगाना चाहिए।इस यन्त्र को सिद्ध करने के लिए बुध मन्त्र के चार हजार जप करने चाहिए। तथा उस का दशांश हवन , मार्जन , तर्पण एवं ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। बुध के वैदिक व तान्त्रिक मन्त्र इस प्रकार हैं।
ॐ उद्बुद्धयस्वाग्नेप्रतिजागृतित्वमिष्टापूर्तेषु र्ठ सृजेथामयंच।
अस्मिन्सधास्त्ये अद्धयुत्तरस्म्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्चसीदत।।
तान्त्रिक मन्त्र
ॐ ब्राँ ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।
विशेष
मिथुन एवं कन्या राशि व लग्न वालों के लिए यह यन्त्र बहुत उपयोगी है। इस यन्त्र के धारण करने से बुद्धि तेज होती है तथा व्यक्ति का व्यापार व आय के श्रोत बढ़ते हैं। पन्ना महंगा होता है। इसके अभाव में ओनेक्स , जबरजद , मर्गज व फिरोजा भी धारण कर सकते हैं।
तन्त्र प्रयोग
वृद्धारौश्चमूलम् (विधायरा)वृक्ष की जड़ जिसका वजन 18 रत्ती हो बुधवार को 4 से 6 के मध्य में लाएं , ' उं, उं, उं' मंत्र 121 बार अभिमंत्रित करके माला मणियों की तरह बनाकर हरे डोरे में डालकर कंठ में नाभि तक लटकती पहनें तो बुधकृत अरिष्ट नाश होता है। साथ ही यदि बुध मंत्र का जप , प्रतिदिन दो माला किया जाए तो मस्तिष्क शुद्धि व मुकदमों में विजय भी होती है।
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