घातक रोग निवारण यंत्र
मनस्त्वं व्योम त्वं मरुदसि मरुसारथिरसि
त्वमापस्त्वं भूमिस्त्वयि परिणतायां न हि परम्।
त्वमेव स्वात्मानं परिणमयितुं विश्वपुषा
चिदानंदाकारम् शिवयुवति भावेन विभृषे।।
उपरोक्त मंत्र का एक हजार की संख्या में प्रतिदिन 45 दिन तक जप करना चाहिए तथा निम्न यंत्र को पीतल अथवा ताम्रपत्र पर खुदवा लें। मंत्र का जप करते समय यंत्र पर दृष्टि केंद्रित रहनी चाहिए। मंत्र और यंत्र के प्रभाव से साधक सभी प्रकार के रोगों से बचा रहता है। यदि कोई नया रोग उत्पन्न होता है , तो वो भी शीघ्र दूर हो जाता है। इस यंत्र को गले में धारण किया जाता है।
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