संतानदाता यंत्र
विवाहोपरांत काफी समय बीत जाने पर भी जिनके यहां संतान उत्पन्न न हुई हो , उनके लिए निम्न यंत्र बहुत लाभदायक है।
स्त्री -पुरुष के संतानोत्पादक अंगों में कोई कमी हो तो इस यंत्र के धारण करने पर उपचार द्वारा वह कमी दूर होकर संतानोत्पत्ति हो जाती है। यंत्र को होली -दीवाली , ग्रहण के समय पर 1500 बार लिखकर सिद्ध कर लेना चाहिए। फिर ऐसे ही किसी पर्वकाल में भोजपत्र पर लाल चंदन की स्याही से अनार की कलम द्वारा लिखें। बीच के दो कोष्ठकों में उस स्त्री का नाम लिखना चाहिए , जिसको संतान पाने की अभिलाषा हो।
यंत्र को लाल धागे से बांधकर तांबे के ताबीज में रखकर , रविवार के दिन कमर में धारण कराया जाता है। धारण कराने से पहले , 'ॐ क्रुंं ह्रूं स्वाहा ' , से 21 बार हवन करके ताबीज (कवच)को धूप देनी चाहिए।
यंत्र के प्रभाव से एक वर्ष के भीतर ही , निश्चित रूप से गर्भधारण हो जाता है।
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