गर्भाशय - दोष दूर करने का यंत्र
गोरोचन , कुंकुम , सिंदूर , कपूर , हरताल , शंखाहूली तथा पान को पीसकर , उसका बारीक चूर्ण कर लें।
तत्पश्चात् उस चूर्ण को गाय के ताजा कच्चे दूध में घोलकर , यंत्र -लेखन के लिए स्याही तैयार करें। फिर अनार या चमेली की कलम द्वारा भोजपत्र पर तैयार की गई स्याही से यंत्र का लेखन करें।
अब किसी कुंआरी ब्राह्मणी कन्या के हाथ का कटा लाल रंग का सूत लें और निम्न मंत्र को नौ बार जपकर , सूत में नौ गिरह लगाएं तथा यंत्र को तांबे के कवच में भरकर गिरह वाले सूत को स्त्री की कटि में धारण करा दें।
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं हैं ह्रीं हंः हां हूं
गर्भस्तंभनायै विंध्येश्वरी कलंक रहितायै
कुक्षि दोष निवारणायै कुरु कुरु तुभ्यं नमः।
यंत्र के प्रभाव से स्त्री के गर्भाशय - संबंधी दोष (विकार) दूर हो जाते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें