गर्भस्थापना -संबंधी यंत्र
जिस स्त्री के गर्भ की स्थापना न होती हो , उसको निम्न यंत्र अवश्य धारण करना चाहिए। यह यंत्र 1100 बार लिखने से ही सिद्ध हो जाता है। किसी पर्वकाल में भोजपत्र पर अनार की कलम से सफेद चन्दन , रक्त चंदन , कपूर , केसर , कस्तूरी पीसकर , स्याही बनाकर , मंत्र -जप से 108 आहुतियां देकर हवन करें।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लों गं स्वाहा।
हवन के धुएं पर यंत्र को धूपित कर , लाल डोरे से बांधकर , तांबे के कवच में भरकर स्त्री की कमर में धारण कराएं। यदि तांबे के कवच में असुविधा हो तो यंत्र को भोजपत्र पर लिखकर , मोमी कागज में लपेटकर और कपड़े में सिलकर भी धारण किया जा सकता है।
विशेष : - यंत्र को उस समय धारण कराया जाता है , जब दो महीने का गर्भ हो। इसे प्रसवकाल तक धारण किया जाना चाहिए तथा प्रसव के बाद यंत्र को खोलकर किसी कुएं या नदी के जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।
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