नाभिस्थापक यंत्र
चंद्र अथवा सूर्य ग्रहण के समय भोजपत्र पर निम्न यंत्र की रचना करके , पूजा आदि करके , सिद्ध कर लें। दूसरे यंत्रों की भांति इस यन्त्र को भी भोजपत्र पर अष्टगंध स्याही से अनार की कलम द्वारा लिखा जाता है। वैसे उत्तम तो यह है कि यंत्र को भोजपत्र पर रविपुष्य योग में लिखा जाए और फिर ग्रहणकाल में 109 माला जप करके इसे सिद्ध कर लिया जाए।
जब कभी नाभि - पीड़ित व्यक्ति पास आए , तो उसे पीठ के बल सीधा लिटाकर , उसकी नाभि पर केवल उंगली से यह मंत्र लिखकर , 5 या 11 बार फूंक मारें। फिर पहले से तैयार रखा भोजपत्र वाला यंत्र कपड़े के ताबीज (कवच) में बंद करके बाजू या कंठ में पहना दें। इस क्रिया से उसकी नाभि -पीड़ा दूर हो जाएगी।
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