नाभिस्थापक यंत्र
अष्टगंध आदि किसी पवित्र स्याही से यह यंत्र भोजपत्र पर लिखा जाता है। जिस व्यक्ति की नाभि अपने स्थान से हट गई हो , तो इस यंत्र को धूप -दीप से पवित्र करके , रोगी के कटि -प्रदेश में बांध देने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है तथा रोगी की पीड़ा सदा के लिए दूर हो जाती है। यंत्र बहुत शुद्ध , एकांत तथा पवित्र स्थान पर लिखा जाना चाहिए तथा इस समय में सुगंधित धूप इत्यादि सुलगा लेनी चाहिए। यंत्र की आकृति निम्न है -
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