यहां जिस यंत्र को दिया जा रहा है , उसे रविवार के दिन पीपल के पत्ते पर अष्टगंध से लिखकर रोगी की दाहिनी बांह पर बांधने से तिजारी ज्वर दूर हो जाता है। किंतु बांधने से पहले निम्नलिखित मंत्र का 107 बार जप करके उसे सिद्ध कर लेना चाहिए और सिद्ध कर लेने के बाद पुरश्चरण आदि की क्रिया भी की जानी चाहिए।
ज्वरनाशक यंत्र
ॐ गलौं हुम् क्लीं जूं सः ज्वालय
ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं विच्चे ज्वर हं सं लंक्षें स्वाहा।
नोट - यंत्र में जहां 'अमुकं ' शब्द लिखा है , वहां रोगी का पूरा नाम लिखना चाहिए।
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