यह यंत्र अद्भुत और दुर्लभ है इसके कोष्ठकों का योग 105 होता है। इसकी रचना भी बहुत सरल तथा इसका प्रभाव बहुत प्रबल है। यंत्र को भोजपत्र या कोरे कागज पर लिखकर धागे से हाथ या पांव में बांध देना चाहिए। बांधने से पहले इसे धूप देना आवश्यक रहता है तथा बांधने से पहले इसे रोगी के सिर पर 21 बार फिरा देना चाहिए।
यंत्र के प्रभाव से ज्वर , ताप , पीड़ा , ऐंठन आदि सब शांत हो जाते हैं , जब ज्वर -कष्ट दूर हो जाए , तब इसको रोगी के शरीर से खोलकर किसी एकांत के जल-भरे कुएं में डाल देना चाहिए।
ज्वरनाशक यंत्र
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