दुग्धवृद्धि यंत्र
कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन इस यंत्र को भोजपत्र पर अनार की कलम द्वारा केसर की स्याही से लिखें तथा तांबे के कवच में बंद करके , मंत्र का दस हजार जप सात दिनों में पूरा करें और धूप - दीप व नैवेद्य से पूजा करके स्त्री को गले में धारण करा दें। मंत्र यह है -
ॐ हुंकारिणें प्रसर शतीत।
यदि किसी स्त्री के स्तनों में दूध न उतरता हो , दूध सूख गया हो तो यंत्र के प्रभाव से उनमें स्वतः दूध बनने लगेगा।
स्तन छोटे होंगे तो वो भी स्थूल और प्रगाढ़ हो जाएंगे। दुग्धवृद्धि का यह एक श्रेष्ठ यंत्र है।
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